हिंदी लेख

  • जलवायु परिवर्तन नहीं, जलवायु प्रलय कहिए

    डाउन टू अर्थ

    जलवायु आपातकाल वास्तविक है हमें इसके प्रलय से बचने के लिए वास्तविक कार्रवाई की ओर कदम बढ़ाना होगा

  • जलवायु परिवर्तन के लिए निजी क्षेत्र को जवाबदेह बनाना जरूरी

    डाउन टू अर्थ

    जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मौलिक रणनीतियां अपनाने का वक्त आ गया है

  • चुनाव 2019: पर्यावरण के मुद्दों पर राजनीतिक उदासीनता के लिए दोषी कौन

    डाउन टू अर्थ

    पर्यावरण को चुनावी मुद्दे बनाने के सवाल पर सिविल सोसायटी लोगों को जागरूक नहीं कर पाई

  • कूड़े से बिजली बनाने की योजना पर उठते सवाल

    डाउन टू अर्थ

    कूड़े से बिजली बनाने वाले संयंत्रों को कचरे के निपटान का चमत्कारी तरीका माना जा रहा है। लेकिन यह विकल्प कितना व्यवहारिक है?

  • कानून और पर्यावरण की उपेक्षा

    डाउन टू अर्थ

    रैट-होल कोयला खदानों से कोयले के सुरक्षित खनन जैसी कोई चीज नहीं है और इसलिए इस पुराने तरीके को तत्काल बंद करना होगा

  • पर्यावरण के लिए कैसा हो 2019 का एजेंडा

    डाउन टू अर्थ

    2019 के लिए एजेंडा स्पष्ट है कि प्रमुख कार्यक्रमों को लागू करने तथा हमारे अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने के लिए हमें संस्थागत और विनियामक रूपरेखा बनानी होगी

  • जलवायु कूटनीति का सार

    डाउन टू अर्थ

    जलवायु परिवर्तन वार्ता का लक्ष्य “न कोई हारे, न कोई जीते” होना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है

  • पेइचिंग से सबक

    डाउन टू अर्थ

    पेइचिंग ने समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित करके तथा व्यापक क्षेत्रीय कार्य योजना लागू करके केवल चार वर्षों में हवा की गुणवत्ता में सुधार कर लिया है

  • धरती बचाने का प्लान ‘बी’

    डाउन टू अर्थ

    क्या फौजी ताकत बढ़ाने पर खर्च होने वाली धनराशि धरती बचाने पर नहीं लगाई जा सकती?

  • सिर पर खतरा

    डाउन टू अर्थ

    केरल में आई विनाशकारी बाढ़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए विकास से संबंधित नीतियों में जलवायु परिवर्तन को केंद्र में रखने की जरूरत है

  • हक पर हमला

    डाउन टू अर्थ

    खनन से प्रभावित लोगों के जीवन में सुधार के लिए जिला खनिज फाउंडेशन की स्थापना की गई थी। लेकिन दुर्भाग्यवश यह अपने मकसद से भटक गया है

  • कोयले का अंत 2050 तक!

    डाउन टू अर्थ

    तकनीक का विकास दुनियाभर को नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ा रहा है और इसने कोयले के भविष्य को चुनौती दे दी है। भारत में अंतिम कोयला बिजली संयंत्र 2050 तक बंद हो सकता है। चंद्र भूषण का विश्लेषण