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बाकू में क्यों नहीं बन पाई बात, भारत ने लगाया हेरफेर का आरोप
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अजरबैजान के बाकू में हालिया संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP 29) में जो जलवायु वित्तपोषण समझौता हुआ, उससे इतिहास की एक बड़ी प्रसिद्ध बात याद आती है। 1942 में महात्मा गांधी ने क्रिप्स मिशन की आलोचना करते हुए इसके प्रस्ताव को डूबते हुए किसी बैंक में आया ‘एक आने का चेक’ बताया था। दोनों बातों में बस एक फर्क है- महात्मा गांधी ने इस मिशन के प्रस्ताव को एक आने का चेक कहकर रिजेक्ट कर दिया था, जबकि आलोचना के बावजूद कॉप के वित्तपोषण समझौते को भारत सहित कई देशों ने अपना लिया है। यह मंजूरी बताती है कि जलवायु संकट दूर करने में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) सहित बाकी दुनिया ने जो कोशिशें की हैं, वे बड़े लेवल पर फेल हो गई हैं।
हवा साफ रखने के ये हैं 8 महामंत्र, एक आपके के लिए भी: वायु प्रदूषण का इलाज समझ लीजिए
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Steps for Good AQI: दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता सुधारी जा सकती है, बशर्ते कुछ कदम उठाए जाएं। इनमें स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन, सर्दियों में हीटिंग के लिए स्वच्छ ईंधन, पराली जलाने को रोकने, उद्योग ऊर्जा संक्रमण, इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग, हरा पट्टी विकास और नगरपालिका को सशक्त बनाना शामिल हैं। जाने-माने पर्यावरणविद् चंद्र भूषण ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के गंभीर मुद्दे पर चिंता तो जाहिर की, लेकिन अगले पांच वर्षों में वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार के लिए आठ सूत्रीय रोडमैप भी दिया है। हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) के लिए लिखे लेख में उन्होंने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) जैसे उपायों के पीछे की सोच पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक पहुंच जाने पर ऐसे उपाय करके लीपापोती होती है, कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता।
सीधे किसानों के खाते में पहुंचे यूरिया की सबसिडी
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इस साल अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने खेती में productivity और adaptability को प्राथमिकता के रूप में पेश किया। इस पहल का उद्देश्य प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना, दालों, तिलहनों और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाना, कृषि अनुसंधान में सुधार करना और जलवायु अनुकूल फसलों को प्राथमिकता देना है। ये लक्ष्य महत्वपूर्ण और जरूरी हैं, लेकिन इनके साथ उर्वरक क्षेत्र खासकर यूरिया को लेकर भी सुधार की जरूरत होगी।
सही तरीके से दूर हो सकती है पानी की कमी
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भारत में पानी की कमी के साथ दूषित जल की भी समस्या है, जिसे हल करना बहुत मुश्किल नहीं |
G20 दुनिया में सहयोग बढ़ाने की पहल
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G20 शिखर बैठक में भारत की शानदार उपलब्धियां दर्ज हो चुकी है | G20 के शीर्ष पर भारत का कार्यकाल एक परिवर्तनकारी अजेंडे के लिए याद किया जायगा जो यथास्तिथि को चुनौती देता है और वैश्विक सहयोग की पुनर्कल्पना करता है |
प्रदूषण थोड़ा ही तो घटा फिर जश्न क्यों
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दिवाली के एक दिन पहले बंगाल की खारी में साइक्लोन आया था, जिसने दिल्ली की हवा साफ़ की।
पर्यावरण पर कैसा है हमारा रिपोर्ट कार्ड !
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पर्यावरण पर कैसा है हमारा रिपोर्ट कार्ड, जानें मौजूदा कानूनों और संस्थानों में सुधार क्यों है जरूरी | साल 2022 पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है। संयोग से, आजादी के 25 साल पूरे होने के हफ्तेभर बाद,...
क्या चारधाम यात्रा में भीड़ घटाई जानी चाहिए
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पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर और खबरों में केदारनाथ में फैले प्लास्टिक प्रदूषण की काफी चर्चा हुई। जो तस्वीरें आईं, उनसे लगता है कि केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं ने काफी मात्रा में प्लास्टिक की बोतलें और चीजें वहां फेंकीं।
हीट वेव की अभी तो शुरुआत है…
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हमारी अर्बन प्लानिंग के खाके में शहरों को ठंडा रखने की बात नहीं है।
राज्यों के चुनावी घोषणा पत्र में पर्यावरण मुद्दे हवा हो गए
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तमाम राजनितिक दलों ने अपने घोषणा पत्रों में पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों की नाममात्र के लिए ही चर्चा की है।
जलवायु परिवर्तन : लक्ष्य तो तय हुए, अब कदम आगे बढ़ाना है
Navbharat Times
पर्यावरण और स्वास्थ्य के नजरिए से वर्ष 2021 लंबे समय तक याद किया जाएगा। इस साल हमने मानवता का श्रेष्ठ देखा तो सबसे बुरा भी देखा। साल की शुरुआत कोरोना की दूसरी लहर से हुई।
आसान पहल से दूर हो सकता है मरुस्थलीकरण का संकट
डाउन टू अर्थ
मरुस्थलीकरण रोकने के लिए वानिकी के माध्यम से खराब मिट्टी में सुधार, पानी के उपयोग की दक्षता को बढ़ाना, मिट्टी का कटाव रोकना और बेहतर कृषि प्रणालियों को अपनाना होगा।